एक सरल और सुंदर कविता “माँ” पर, जो दिल को छू जाती है:
“माँ”
माँ वो पहली दुआ है मेरी,
बात माँ ही तो सबसे बड़ी खुशी है मेरी।
उसके बिना ये घर नहीं लगता,
उसके बिना दिल कहीं नहीं रुकता।
उसकी गोदी है सबसे प्यारी,
जैसे चाँदनी हो सबसे न्यारी।
वो थक जाए, फिर भी मुस्काए,
दुख में भी हमें हँसाए।
जब भी डर लगे अंधेरे से,
माँ की आवाज़ लगे सवेरे से।
उसके आशीर्वाद से चलता हूँ,
हर राह पे संभलता हूँ।
माँ सिर्फ एक नाम नहीं,
माँ खुद में भगवान है कहीं।
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यह रही एक भावपूर्ण कविता “माँ की ममता” पर:
“माँ की ममता”
माँ की ममता सागर जैसी,
गहराई का ठिकाना नहीं,
उसके दिल में प्रेम भरा है,
जो दुनिया में दीवाना नहीं।
वो थक जाए फिर भी बोले,
“बेटा तू सो जा, मैं जाग लूंगी थोड़े।”
अपने आँचल में छुपा लेती,
दुख को भी मुस्कुरा के पी जाती।
हर आहट पर दौड़ी आती,
बिना कहे सब कुछ जान जाती।
तेरे आँसू बनें उसकी चिंता,
तेरी हँसी में ही है उसकी शांति।
माँ की ममता सूरज जैसी,
हर दिन जलती, फिर भी हँसती।
उसके बिना अधूरी धरती,
उसके बिना अधूरी हस्ती।
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“माँ की ममता” पर एक और कविता:
“माँ तेरी ममता का कोई मोल नहीं”
माँ तेरी ममता का कोई मोल नहीं,
तेरे बिना ये जीवन एक अनसुलझा रोल नहीं।
तू हँसती है तो लगता है जैसे,
खुशियों का सूरज निकला हो वैसे।
तेरी गोदी में सुकून की नींद आती है,
दुनिया की ठोकरें भी फिर मुस्कान लाती हैं।
तेरा स्पर्श है जैसे दवा हर दर्द की,
तेरे बिना अधूरी है ये कायनात मेरी।
तू थक जाए, फिर भी बोले,
“बेटा, तू खाना खा ले पहले”।
अपनी भूख भुला दे माँ,
पर हमें कभी ना रोके माँ।
मदर्स डे क्या, हर दिन तेरा है माँ,
हर साँस में नाम तेरा है माँ।
तेरे जैसी न कोई और हो पाएगी,
तू सबसे खास थी, है, और सदा रहेगी।
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धन्यवाद
आशा है आपको ये कविताएं पसंद आई होंगी।